घूमने के मामले में भारतीय दुनिया में नंबर-1, लेकिन छुटि्टयों में भी नहीं छोड़ते फोन का साथ

इंटरनेशनल डेस्क. छुटि्टयों के दौरान घूमने-फिरने के मामले में भारतीय पूरी दुनिया में अव्वल हैं। हालांकि, छुटि्टयों के वक्त भी वे फोन से आजादी नहीं ले पाते। महज 54% लोग ही छुटि्टयों में फोन को खुद से दूर रख पाते हैं। वहीं, छुटि्टयों का सही इस्तेमाल करने के मामले में सऊदी अरब के लोग सबसे ज्यादा आगे हैं। यह बात मार्केट रिसर्च कंपनी आईपीएसओएस
आईपीएसओएस ने इस सर्वे के लिए 27 देशों के लोगों से बातचीत की। इस दौरान लोगों से तीन विषयों पर बात की गई। पहला विषय घर के बाहर छुटि्टयां बिताने का था। दूसरा छुटि्टयों के सही इस्तेमाल का। वहीं, तीसरे विषय में लोगों से पूछा गया कि क्या वे छुटि्टयों के दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल छोड़ पाते हैं।
की 2018 की रिपोर्ट में सामने आई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के 61% लोग सालभर की अपनी कुल छुटि्टयों में से एक हफ्ता घर के बाहर बिताते हैं। इस मामले में भारतीय सबसे अव्वल हैं। 83% भारतीय छुटि्टयां बिताने के लिए बाहर जाने को तवज्जो देते हैं। वहीं, दुनिया के सबसे खुशहाल देश स्वीडन के 69% लोग ही बाहर घूमने का प्लान बना पाते हैं।
छुटि्टयों के दौरान मोबाइल फोन को दूर रखने के मामले में जर्मनी के लोग सबसे ज्यादा एक्टिव हैं। 69% जर्मन छुटि्टयों के वक्त फोन को खुद से दूर रखते हैं। हालांकि, भारतीय ऐसा नहीं कर पाते। 46% लोग घूमने के दौरान भी मोबाइल फोन से ज्यादा जुड़े रहते हैं।
छुटि्टयों का सही इस्तेमाल करने में सऊदी अरब के लोगों का नाम सबसे ऊपर आता है। यहां के 100 में से 81 लोग अपनी छुटि्टयां इस्तेमाल करने में माहिर हैं। इस लिस्ट में भारतीय पांचवें नंबर पर आते हैं। 28% भारतीय अपनी छुटि्टयों को लेकर कोई प्लानिंग नहीं कर पाते।
बात मेहनत की हो तो जापानियों को सबसे आगे रखा जाता है। छुटि्टयों को लेकर हुई रिसर्च में वे सबसे पीछे रहे। रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ 34% जापानी ही छुट्‌टी की सही प्लानिंग कर पाते हैं। इनमें से 68% लोग छुट्‌टी के दौरान फोन का साथ नहीं छोड़ पाते। वहीं, बाहर घूमने जाने की प्लानिंग भी महज 24% जापानी ही करते हैं।नई दिल्ली. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व मुख्य चयनकर्ता सैयद किरमानी का कहना है कि एमएसके प्रसाद की अध्यक्षता वाली मौजूदा चयन समिति में इतना अनुभव नहीं है कि वह कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली के फैसलों को चुनौती दे सकें। शास्त्री कोच के साथ चयनकर्ता भी हैं। करुण नायर और मुरली विजय के टेस्ट टीम में नहीं चुने जाने के बा
चयन को लेकर पूछने पर किरमानी ने कहा, ‘यदि आप मुझसे पूछें तो रवि शास्त्री कोच के साथ मुख्य चयनकर्ता भी हैं। वे कप्तान और वरिष्ठ सदस्यों के साथ चर्चा करते हैं और जो उन्हें चाहिए होता है वही प्रस्ताव चयन समिति के सामने रख देते हैं।’
द उठे विवाद के बाद भारतीय टीम के पूर्व विकेटकीपर का यह बयान आया है।
नायर और विजय दोनों ने दावा किया था कि टीम से हटाने को लेकर न तो पहले और न ही बाद में चयनकर्ताओं की उनसे कोई बातचीत नहीं हुई। वहीं, एमएसके प्रसाद ने दोनों ने दावों को खारिज करते हुए कहा था कि दोनों बल्लेबाजों को समय रहते ही बता दिया गया था।
68 साल के किरमानी ने कहा, ‘खेद है कि मौजूदा चयन समिति इन लड़कों (शास्त्री और कोहली) के मुकाबले अनुभवहीन है। जो टीम प्रबंधन चाहता है वे उसे बेहतर ढंग से सुनते हैं, क्योंकि अपने से ज्यादा अनुभवी शास्त्री और कोहली के साथ बहस नहीं कर सकते हैं।’ किरमानी 2000 के दशक में भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य चयनकर्ता रह चुके हैं।
मौजूदा चयन समिति के पांच सदस्यों के पास अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का बहुत कम अनुभव है। एमएसके प्रसाद ने छह टेस्ट और 17 वनडे खेले हैं। अन्य चार चयनकर्ताओं में सरनदीप सिंह ने दो टेस्ट और पांच वनडे खेले हैं। देवांग गांधी के पास चार टेस्ट और तीन वनडे खेलने का अनुभव है। जतिन परांजपे ने कोई टेस्ट नहीं खेला है। वे सिर्फ चार वनडे ही खेले हैं। गगन खोड़ा का भी यही हाल है। उनके पास भी केवल दो वनडे खेलने का अनुभव है।
किरमानी ने कहा, ‘टीम में चयन चुने जाने में भाग्य की भी भूमिका रहती है। मेरा ही उदाहरण लें। मैं अपने करियर के शीर्ष पर साइडलाइन कर दिया गया था।’ किरमानी ने 1986 में अपना आखिरी 88वां टेस्ट खेला था। भारत के श्रेष्ठ विकेटकीपर्स में से एक किरमानी ने ऋषभ पंत के बारे में कहा कि यदि लंबे समय तक खेलना है तो उसे विकेट-कीपिंग के बेसिक्स को अभी सीखने की जरूरत है।

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